प्यार के पंछी, दैनिक लेखनी प्रतियोगिता -13-Apr-2024
प्यार के पंछी
तुम वीणा,मैं गुंजन प्रिये सुर,संगीत सा रिश्ता हमारा,
सुनो प्रिय,मेरा सर्वस्व तुम मेरे हर दर्द में शामिल तुम।
जीवन में परिणय रंग प्यार को सर्वस्व अर्पण है प्रिये,
भाव से सिक्त,रंग अनमोल विश्वास का समर्पण प्रिये।
बिरह रंग ये कैसा प्रिये नयनों से नित सावन बरसते,
क्षणिक अलगाव हो प्रिये पुष्प भी कंटक से हैं लगते।
मन के इस सूने प्रांगण में जब- जब सांझ उतरती है,
याद तेरी आती तब- तब बारिश जब - जब होती है।
पनघट की प्यास लिखूं तब तुम प्रीत के राग साधना,
जीवन के गीत मैं लिखूं तब तू प्राणों के साज साधना।
श्रृंगारकर सजूं तो निजश्वासों के इत्र से महका जाना ,
कोकिल बन कूक सुनाऊं तुम मयूर बन थिरक जाना।
प्रीत रंग सांसो में इस कदर घुल मिल गए हैं मानो ,
शीत शरद ऋतु ग्रीष्म वसंत बदले मौसम रंग हजार।
प्रीत का रंग इतने ही पक्के रंग में रंग दिया प्रिये तूने,
सुख हो या दुख पतझड़ बदले न प्रिये ये तेरा प्यार।
प्रीत के रंग में मुझे रंगे ऐसे तुम छूटे ही नहीं छुड़ाए ,
रंग गये हृदय कंवल ऐसे आंसू से धुले निखरते जाए ।
रंग दिया तूने सजनी मोहे प्रीत रंग यह अनोखा कैसा,
जितने ही छुड़ाने के करुं प्रयास उतनी चढ़ती जाए।
उम्मीदों के ख़्वाब सजाऊं तू संसार प्रीतके बसा देना,
मेघ बन प्रेम रस बरसाऊं रूहाने प्रेम से भिंगो जाना।
जब गीत प्रेम के बन जाऊं तू शब्द बन निखर जाना,
जब प्यार के पंछी बनूं तू हौसलों की उड़ान भर देना।
~~~ राजीव भारती
पटना बिहार (गृह नगर)
Mohammed urooj khan
17-Apr-2024 11:53 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Sarita Shrivastava "Shri"
16-Apr-2024 07:56 PM
वाह! बेहतरीन सुन्दर विचार प्रस्तुति👌👌🌹🌹
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kashish
13-Apr-2024 10:57 PM
Awesome
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राजीव भारती
14-Apr-2024 10:24 PM
जी आपका सहृदय स्वागत।
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